३० दिन के अगले कदम

दिन १३: पुराने स्वभाव पर जयवंत होना

मैं कठिन परिस्थितियों और मोहजाल का सामना कैसे करू?

दिन १३: पुराने स्वभाव पर जयवंत होना

"अपने पुराने स्वभाव और चाल-चलन को त्याग कर और नया स्वभाव धारण करो "

कुलुस्सियों 3:9, 10 एन आई वी

क्या प्रभु यीशु का अनुयायी बनने से आप कठिनाइयों के परे हो जाते हैं? नहीं, आपके नये जन्म के समय आपको करिश्माई रूप से किसी कांच के बुलबुले में नहीं बैठाया जाता। बल्कि आपका जीवन एक रणभूमि बन जाता है, जहां आप वर्तमान जीवन की मोहजाल और कठिन चुनौतियों का सामना करते हैं।

हमारे परिवर्तन के समय हमें एक नया स्वभाव मिला है, लेकिन हम अपने पुराने जीवन के कुछ अंश भी लेकर आये हैं, जिसे “पुराना स्वभाव“ कहा जाता है। पुराने जीवन ही यह बपौती हमारे चारों ओर मण्डराती है और एक मसीही केन्द्रित जीवन में रोड़े अटकाती है। बहुत समय तक हमारे जीवन की पहचान बनी स्वभाव और विचारों से अलग होना आसान नहीं है।

पर एक अच्छा समाचार है कि यीशु मसीह हमारे पुराने स्वभाव को अपने साथ कब्र में दफन कर चुके है। वह क्रूसित किये गये। हमारे ‘नये स्वभाव‘ को हमारे पुराने स्वभाव की जगह ले लेनी चाहिए। हमारा कार्य अब इसे करने में उग्रता दिखाना है। प्रेरित पौलुस कहते हैं अपने आप को पाप के लिए मृत और परमेश्वर के लिये प्रभु यीशु मसीह में जीवित गिनों (रोमियो 6:11)। दूसरे शब्दों में, मसीह ने आपके लिये जो किया उसे कारगर बनाओ।

गलातियों की पत्री 5:16-17 में नये स्वभाव के अनुसार जीवन जीने के लिये हमें चुनौती दी गई है। "आत्मा के अनुरूप चलो कि तुम अपने शरीर की अभिलाषाओं की पूर्ति न करो।"इसका अर्थ यह है कि आप पवित्र आत्मा परमेश्वर को, जो अभी आप में वास कर रहें है अपने विचारों को ढा़लने, अपने कदमों को निर्देशित करने आपकी प्रतिक्रिया पर नियंत्रण रखने और आपकी गलतियों पर आपको सही करने की अनुमति दे। पुराना स्वभाव एक वास्तविकता है परन्तु परमेश्वर हमें जयवंत होकर चलने के लिए सशक्त करते है।

दिन १४: शैतान का सामना करना


आप अभी अपने जीवन में पवित्र आत्मा की कैसी सहायता चाहते है? आप ऐसे किसी से भी बात कीजिये जो आपके पुराने स्वभाव पर जयवंत होने में आपकी सहायता करेंगें।