सत्य को मोल लो और बेचों नहीं
यह कल्पना कीजिए की आप प्रेरित पौलुस से चाय पर बातचीत कर रहे हैं। आप पूछे, “पौलुस सबको सुसमाचार सुनाने के लिए आपको कौनसी बात प्रेरित करती है?”
वह शायद यह कहें कि यह सत्य बताने के लिये कि परमेश्वर एक ही है और मनुष्यों के बीच में एक ही बिचवई हे, अर्थात मसीह यीशु जो मनुष्य है। (देखिये 1 तिमोथियुस 2:5)
उसके उत्तर बहुत गहरे और हमारे विचारों के विश्वास का मूल हे। अनेक ईश्वर नहीं है, सिर्फ एक है। और परमेश्वर की ओर सिर्फ एक रास्ता है सिर्फ यीशु मसीह के द्वारा जिसने कहा है मार्ग, सत्य ओर जीवन मैं ही हूं। कोई भी मेरे सिवा पिता के पास नहीं आ सकता (यूहन्ना 14:6)। सत्य का सार प्रभु स्वयं है।
- सत्य हमें स्वतंत्र करता है यीशु ने कहा, “तुम सत्य को जानोगे और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा” (यूहन्ना 8:32)।
- सत्य तुम्हारा मार्गदर्शन करता है।"परन्तु जब वह अर्थात [सत्य का आत्मा] आयेगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा' (यूह्न्ना 16:13).
- सत्य हमारी रक्षा करता है। जब हम सत्य के प्रेम को जानते हैं तब हम स्वयं को फ़रेब की कपटी ताकतों के खिलाफ हत्यार बंद होते हैं (देखिये 2 थिस्सलुनीकियों 2:10 और मत्ती 24:4)।
क्या तुम एक उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्र हो? झूठ बोलना धोखा देना एक कला है। क्या आप महाविद्यालय में हो? आज के महाविद्यालय प्रांगण में वास्तविक सत्य का मखौल उठाया जाता है. क्या आप व्यवसाय करते है? अनेकों बार आर्थिक लाभ और कार्यसिद्धि के लिए सच को ताक पर रख दिया जाता है। सत्य मायने रखता हैः परमेश्वर हमें विश्वासियों को बुलाते हैं कि हम सत्य को जानकर उसको हर कीमत पर थामे रहे।
सत्य मायने रखता है। परमेश्वर हम विश्वासियों को यह जानने के लिये बुलाता है कि वह सत्य को जाने और थामे रहे, चाहे उसके लिये कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।
आज क्या आपको झूठ बोलने का प्रलोभन हुआ, पर आपने सच हर हाल में सच ही कहा? उसके बाद क्या हुआ? क्या आप अपने जीवन के किसी विषय में झूठ बोल रहे है? किसी से सत्य बोलने से आपको स्वतंत्रता मिल सकती है!