दिन २४: एक अनंत परिप्रेक्ष्य
जो अनंत है और महत्वपूर्ण है उस पर मैं अपना ध्यान कैसे रखूँ?
क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण और अनंत महिमा उत्पन्न करता जाता है।
यह हमारे लिए कठिन है चाहे हम एक परीक्षा के लिए पढ़ रहे हो या हम बच्चे का डायपर बदल रहे हो या कोई व्यवसाय में कोई संधि की हो कि हम नित्य जीवन के विषय सोचकर अक्सर हमारा ध्यान अगला कार्य करने पर होता है पर वचन हमसे कहता है। उसने हमें ऐसा बनाया कि अपने-अपने समय पर वह सुन्दर होते है (सभोपदेशक 3: 11)। फिर उसने मनुष्यों के मन में अनादि-अनन्त काल का ज्ञान उत्पन्न किया है।
बाईबिल अनन्तकाल को समझने की एक निर्देशिका है, जो विश्वासी को प्रभु यीशु में यह आश्वस्त करती है कि अनंत जीवन की प्रतिज्ञा जीवन की वास्तविक्ता की तरह आवश्यम्भावी है। प्रेरित पौलुस यह समझते कि हमें अनंतता के लिए बनाया गया हैः “पर हमारा स्वदेश स्वर्ग पर है; और हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के वहां से आने की बाँट जो रहे है। वह अपनी शक्ति के उस प्रभाव के अनुसार जिसके द्वारा वह सब वस्तुओं को अपने वश में कर सकता है, हमारी दीन-हीन देह का रूप बदलकर अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा" (फिलिप्पियों 3:20-21)
क्या ऐसा परिप्रेक्ष्य हमारी इस संसार के जीवन को प्रभावित करता है? हां, बिल्कुल करता है! परमेश्वर के महान उद्देश्यों में के आत्मविश्वास सच्ची आशा पैदा करता है, हमें प्रयत्न करते रहने का दम पैदा करता है चाहे जो भी मुश्किलें क्यों न हो। अनंतकाल के जीवन की तुलना में हमारा आज का जीवन भाप के समान एक क्षण का है।
हम प्रेरित पौलुस के साथ मिलकर यह कह सकते हैं कि मैंने किन पर विश्वास किया है तथा मुझे यह पूरा निश्चय है कि व उस दिन तक मेरी धरोहर की रक्षा करने में पूरी तरह सामर्थी हैं। (2 तिमुथियुस 1:12)
हमें अपना जीवन अपनी आखें अनंतकाल की ओर लगाकर जीनी है। आज आप कुछ अलग क्या करेंगें? क्या आपको यह समझने में सहायता की आवश्यकता है?