३० दिन के अगले कदम

दिन ५: परमेश्वर प्रेम है

मैं परमेश्वर के प्रेम के विषय कैसे आश्वस्त हो सकता हूँ?

दिन ५: परमेश्वर प्रेम है

ऐसा हो कि मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान के परे है, कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ।

इफिसियों 3:19

बिलि ग्रहाम, जिन्होंनें सुसमाचार का संदेश करोड़ों लोगों को सुनाया है उन्होनें कहा, “मैं बाईबिल को जितना अधिक पढ़ता हूँ, उतना अधिक यह समझता हूँ कि प्रेम परमेश्वर का सर्वोपरि स्वभाव है.”

मेरे जीवन में ऐसा समय आया है जब आपकी तरह मैंने भी अपने आप को परमेश्वर के प्रेम से बहुत दूर महसूस किया है। हो सकता है आप माता-पिता के प्यार के बगैर किसी टूटे परिवार में पले बड़े हो। आपके प्रिय जन बीमारी, दुर्घटना या युद्ध के कारण इस दुनिया से चल बसे हो। आपने अकाल या महामारी का हर दिन की सच्चाई जैसी अनुभव की है। दर्द निरन्तर आपके करीब था। इन सब में परमेश्वर का प्रेम कहाँ है?

मेरा विश्वास है कि अपने बच्चों के जीवन में आये कष्टानुभवों, अन्याय और भारी बोझों के कारण परमेश्वर का दिल इतना दुखता है जितना हम कभी समझ भी नहीं पायेंगे। पाप जब इस संसार में प्रवेश करता है तब उसके परिणाम से हमारा जीवन दैनिक रुप से प्रभावित होता है।

परन्तु परमेश्वर का प्रेम सर्वोपरि तब प्रकट हुआ जब उसने अपने पुत्र को, हमें दुबारा खरीदने अथवा पाप के बुरे प्रभाव से हमारे छुटकारे के लिए भेजा। यूहन्ना रचित सुसमाचार में लिखा हैः परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि अपना एकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई विश्वास करे वह नाश न हो परन्तु अनंत जीवन पायें” (यूहन्ना 3:16)।

जब आपने अपना जीवन परमेश्वर को दे दिया, तब आप अपने स्वर्गीय पिता परमेश्वर के प्रेम से मुखान्मुख हो गये। अब जब आप अपना सफर जारी रखते हैं तब आप उस पऱ आश्रित होकर उसको और गहराई से प्राप्त करें। परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं!

दिन ६: परमेश्वर को जवाब देना


क्या आप ऐसे किसी परिस्थिति से होकर गुजरते रहे है जिससे कि आपको यह याद करना मुश्किल हो रहा है कि वास्तव में परमेश्वर आपसे प्रेम करते है? आप किसी से इस विषय में बात करें और प्रार्थना करने के लिये कहे।