३० दिन के अगले कदम

दिन १०: रूपान्तरित मन

मन को नया करने का अर्थ क्या है?

दिन १०: रूपान्तरित मन

वचनः “जो बाते सत्य है, जो निर्दोष है, जो धर्मी है, जो निर्मल है, जो सुन्दर है, जो प्रशंसनीय है अर्थात जो उत्तर और सराहनीय गुण है, उन्हीं पर तुम्हारा मन लगा रहे।"

फिलिप्पियों 4:8

यदि यह पहले से नहीं हुआ है तो आप अपने आप को गलत विचारों और तरीकों से संघर्ष करता हुआ पाओगे। मैं जानता हूं। हालांकि मैं मसीह के साथ बहुत वर्ष तक चला हूं लेकिन ऐसे बहुत से क्षण आते हैं जब मैं स्वयं को घमण्ड और विश्वास की कमी जैसे मनोभावों से मल्लयुद्ध करता हुआ पाता हूं।

हम कितने भाग्यशाली है कि प्रभु यीशु मसीह हमारे चिंतामण्डल और विचारधारा को बदलने में हमारी सहायता करते है। इसका अर्थ यह नहीं कि यह आसान है पर यह कि यह संभव है। प्रेरित पौलुस इस बदलाव की इन शब्दों में व्याख्या करते हैं “इस संसार के स्वरूप में न ढ़लो परन्तु मन के नए हो जाने के द्वारा तुममें जड़ से परिवर्तन हो जायें” (रोमियों 12:2)।

प्रभु परमेश्वर यह नहीं चाहते कि जब आप उसके पास आये तब अपने दिमाग का उपयोग न करें। ठीक उसके विपरीत है। परमेश्वर ने आपके मस्तिष्क को बनाया है और बुद्धि दी है कि आप उसका पूर-पूरा उपयोग करें, लेकिन सही तरीके से। वह चाहते हैं कि आपका मन नया बन जाये इसलिए सोचना बंद न करें अपितु सब कुछ उसकी नजरों से देखना समझना शुरू करें।

शुरू करने का बहुत अच्छा तरीका वचन का मनन करना है। अध्ययन में दी गयी आयतों को देखें, उन पर मनन करें और यहाँ तक की उनको याद करें। वचन को याद करना अपने मन को नया करने का शायद सबसे शक्तिशाली तरीका हैं। अभी ही क्यों न शुरु करें? आज का दिया गया वचन एक मन को बहुत ही “नया” करने वाला है। दिनभर उसको दोहरायें पूरे दिन उसे अपना साथी बनायें।

दिन ११: दूसरों को प्यार करना


क्या आप अपना बाईबिल हर दिन पढ़ते है "कि अपना मन वचन में धोये"? क्या आपको बाईबिल पढ़ने में सहायता की आवशयकता है?