दिन ४: बाईबिल: सभी कालों के लिये एक ग्रंथ
मेरी आत्मिक उन्नति के लिये सर्वोत्तम आधार क्या है?
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मसीह का वचन आप में भरपूरी से बसे
मैं हमेशा से बाईबिल को वैसे नहीं देखता था जिस तरह की मित्र वह आज बन गई है। प्रभु यीशु को अपना जीवन समर्पित करने से पहले मुझे बाईबिल बड़ी उलझाने वाली और रहस्यमयी लगी, इसका एक कारण यह भी था कि मैनें दूसरी पुस्तकों की तरह इसे पेज 1 से पढ़ने की कोशिश करी। जल्द ही मैं उक्ता गया और मैनें इसको एक तरफ रख दिया।
मेरे यीशु का विश्वासी बन जाने के बाद, बाईबिल मेरे लिए जीवन्त होने लगी। मेरी शुरुआत नये नियम में यीशु के विषय पढ़ने से हुई।अधिकतर मुझे आश्चर्य होता था कि जो मैंने सुबह पढ़ा वह सीधे-मेरे उस दिन की घटनओं से जुड़ा होता था।
बाईबिल से सीखना हमारे आत्मिक आधार को “चट्टान सी मजबूती" प्रदान करने का सबसे उम्दा तरीका है। बाईबिल के ईश्वर प्रेरित पन्नों में से आप सीखेंगे की परमेश्वर कौन है, और वह आपसे किस प्रकार जीवन चाहते हैं और किस प्रकार वह आपका मार्गदर्शन करेंगे। यह सोचें कि परमेश्वर के वचन के साथ समय व्यतीत करना एक इमारत की नींव डालने के समान है. यह आंखों से छिपी रहती है लेकिन अनिवार्य होती है और इसका और कोई आसान तरीका नहीं है। एक इमारत की ताकत और स्थिरता एक मजबूत नींव पर आधारित होती है। आप बाईबिल को अपने आत्मिक जीवन का आधार बना लें।
यदि आपके पास बाईबिल नहीं है, तो इस ऐप की सहायता से आपको एक बाईबिल आसानी से मिल जायेगी।शुरूआत लूका रचित सुसमाचार से करें, जो एक चिकित्सक और यीशु मसीह का एक अनुयायी था। हर दिन थोड़ा- थोड़ा पढ़े। शब्दों को आपसे बातें कर कुछ नया ज्ञान और कुछ नया सत्य लाने दें।
आज आपने बाईबिल में ऐसे क्या पढ़ा जिस से आपको ऐसा लगा हो कि परमेश्वर आपसे सीधे बाते कर रहें है? क्या आपके पास इस विषय में कोई सवाल है?